आदर्श पाठ योजना
दिनांक: 9/6/2016 विषय: हिन्दी कालांश:
कक्षा: दसवीं उपविषय: राम-लक्ष्मण परशुराम -संवाद अवधि:
--------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------
प्रस्तावना
1- शिव धनुष कहाँ रखा हुआ था?
2- महाराज जनक ने क्या प्रतिज्ञा की थी?
3- विश्वामित्र जनकपुर क्यों आए थे?
लेखक परिचय

तुलसीदास जी का जन्म उत्तर प्रदेश के बांदा जिले के राजापुर गाँव मे सन 1532 में हुआ था। इन के पिता का नाम आत्माराम दुबे तथा माता का नाम हुलसी था। अशुभ नक्षत्र में जन्म लेने के कारण उनके माता-पिता ने इनको त्याग दिया था। ये घूमते-घूमते मांगते खाते बड़े हुए तथा गुरु नरहरि दास के शिष्य बने। इनका विवाह दीनबंधु पाठक की पुत्री रत्नावाली के साथ हुआ। कहा जाता है की अपनी पत्नी के कटुवचन से इन्हे वैराग्य हो गया । इन्होंने 1574 मे अयोध्या मे रामचरित मानस नामक सुप्रसिद्ध ग्रंथ की रचना आरंभ की। इनका देहावसान सन 1623 ई॰ मे काशी मे हुआ। इनकी मृत्यु के संबंध मे यह दोहा प्रसिद्ध है -
संवत सोलह सौ असी, असी गंग के तीर ।
श्रावण शुक्ला सप्तमी तुलसी तज्यो शरीर ॥
रचनाएँ
तुलसीदास द्वारा रचित प्रमुख काव्य ग्रंथ हैं-
रामचरितमानस , कवितावली , दोहावली , गीतावली , कृष्णगीतावली , विनय-पत्रिका ।
इसके अलावा जानकी मंगल, पार्वती मंगल , रामलला नहछू , बरवै-रामायण , वैराग्य संदीपनी तथा हनुमान बाहुक इनकी रचनाएँ हैं।
इनमें 'रामचरित मानस' अकेला ऐसा ग्रंथ है जिसने कवि को प्रसिद्धि के चरम शिखर पर पहुँचा दिया।
अन्विति
नाथ संभुधनु भंजनिहारा । होईहि केउ एक दास तुम्हारा ॥
आयेसु काह कहिअ किन मोही । सुनि रिसाइ बोले मुनि कोही ॥
सेवकु सो जो करै सेवकाई । अरिकरनी करि करिअ लराई ॥
सुनहु राम जेहि सिवधनु तोरा । सहसबाहु सम सो रिपु मोरा ॥
सो बिलगाउ बिहाइ समाजा । न त मारे जैहहिं सब राजा ॥
सुनि मुनिवचन लखन मुसुकाने । बोले परसुधरहि अवमाने ॥
बहु धनुही तोरी लरकाईं । कबहुँ न असि रिस कीन्हि गोसाईं ॥
येहि धनु पर ममता केहि हेतू । सुनि रिसाइ कह भृगुकूलकेतू ॥
रे नृपबालक कालबस बोलत तोहि न सँभार ।
धनुही सम त्रिपुरारिधनु बिदित सकल संसार ॥
प्रकरण की प्रासंगिकता
महाराज जनक के द्वारा यह प्रतिज्ञा की जाती है कि इस विशाल धनुष को जो कोई भी उठा कर प्रत्यंचा चढ़ा देगा मेरी पुत्री सीता का विवाह उसी के साथ संपन्न होगा ।
सामान्य उद्देश्य
- विद्यार्थियों को राम चरित मानस से परिचित करना ।
- विद्यार्थियों में काव्य के प्रति रुचि उत्पन्न करना ।
- विद्यार्थियों को कविता लिखने की प्रेरणा देना ।
विशिष्ट उद्देश्य
- विद्यार्थियों को शिवधनुष की जानकारी देना ।
- विद्यार्थियों को परशुराम के बारे में जानकारी देना ।
- विद्यार्थियों को पढ़ाई जाने वाली कविता की जानकारी देना ।
व्यह रचना (शैक्षिक प्रविधियाँ)
- वाचन विधि
- व्याख्यान विधि
- प्रश्नोत्तर विधि
स्पष्टीकरण
प्रस्तुत काव्यांश में शिवधनुष भंग होने की सूचना से परशुराम अत्यंत क्रोधित होकर जनकपुर आते है तथा सभा मंडप में पूछते है कि यह शिवधनुष किसने तोड़ा है में उसे दंडित करूँगा । तब श्रीराम बड़े विनम्र होकर कहते है कि हे नाथ शिव धनुष तोड़ने वाला कोई आपका सेवक ही होगा ।
सहायक सामग्री
- रामचरित मानस
- श्रीराम , लक्ष्मण और परशुराम के चित्र
- श्यामपट
- चाक , डस्टर
कठिन शब्द और उनके अर्थ
नाथ = स्वामी
भंजनिहारा = तोड़ने वाला
आयेसु = आज्ञा
अरिकरनी = शत्रु कर्म
लरिकाई = बचपन
विलगाउ = अलग
अवमाने = अपमान करते हुए
नृपबालक = राजा का पुत्र
रिस = गुस्सा
विदित = ज्ञात है
भृगुकुल केतु = भृगुवंश की पताका रूप परशुराम
त्रिपुरारिधुन = शिवधनुष
सकल = संपूर्ण
भंजनिहारा = तोड़ने वाला
आयेसु = आज्ञा
अरिकरनी = शत्रु कर्म
लरिकाई = बचपन
विलगाउ = अलग
अवमाने = अपमान करते हुए
नृपबालक = राजा का पुत्र
रिस = गुस्सा
विदित = ज्ञात है
भृगुकुल केतु = भृगुवंश की पताका रूप परशुराम
त्रिपुरारिधुन = शिवधनुष
सकल = संपूर्ण
अर्थग्रहण संबंधी प्रश्न
- कवि और कविता का नाम लिखिए ?
- परशुराम ने सेवक और शत्रु के बारे में क्या कहा ?
- स्वयंवर स्थल पर शिव धनुष तोड़ने वाले को परशुराम ने किस प्रकार धमकाया ?
- काव्यांश के आधार पर परशुराम के स्वभाव की विशेषताएँ बताइए ।
- काव्यांश में किस छंद और भाषा का प्रयोग किया गया है ?
विषय वस्तु संबंधी प्रश्न
- शिवधनुष जनकपुर में क्यों रखा गया था ?
- महाराज जनक ने धनुष उठाने की प्रतिज्ञा क्यों की ?
- विश्वामित्र राम लक्ष्मण को जनकपुर क्यों ले गए ?
- परशुराम के क्रोध करने पर लक्ष्मण ने धनुष के टूट जाने के लिए कौन कौन से तर्क दिये ?
अतिरिक्त ज्ञान का संप्रेषण
शिवधनुष का नाम पिनाक था । वह परशुराम के पास था जब महेन्द्र पर्वत पर तपस्या करने गए तब उस धनुष को महाराज जनक के यहाँ धरोहर के रूप में रख दिया था । वह धनुष विशाल था । कोई उसे हिला तक नहीं पाता था । एक दिन सीता ने उसे उठा लिया । विदेह राज ने सीता को धनुष उठाते हुए देख लिया तब उन्होंने यह प्रतिज्ञा की कि जो भी राजा या राजकुमार इस धनुष को उठाकर उस पर प्रत्यंचा चढ़ाएगा उसी के साथ सीता का विवाह संपन्न होगा ।

छात्रों की सहभागिता
- विश्वामित्र के साथ जनकपुर कौन कौन गए थे ?
- शिवधनुष किसने तोड़ा ?
- धनुष भंग होने पर परशुराम जनकपुर क्यों आए ?
- ' सेवक सो जो करे सेवकाई ' यह कथन किसका है ?
- लरकाई शब्द का क्या अर्थ है ?
- काव्यांश की अंतिम दो पंक्तियों में कौन का छंद है ?
जीवन मूल्य
श्रीराम को मर्यादा पुरुषोत्तम कहा जाता है । वे राजा के पुत्र होते हुए भी अत्यंत विनम्र स्वभाव के थे । धनुष भंग होने पर परशुराम के द्वारा क्रोधित होकर धनुष भंग करने वाले को दंड की धमकी दी गयी तब श्रीराम ने बड़ी विनम्रता का परिचय देते हुए कहा कि हे स्वामी धनुष तोड़ने वाला आपका कोई सेवक ही हो सकता है । उनका यह स्वभाव अनुकरणीय है ।
मूल्यांकन
- महाराज जनक कहा के राजा थे ?
- सीता स्वयंवर की क्या शर्त थी ?
- परशुराम का स्वभाव कैसा था ?
- परशुराम ने किसको दंड देने की धमकी दी ?
- लक्ष्मण ने मुस्कराते हुए परशुराम से क्या कहा ?
गृहकार्य
- परशुराम के क्रोध करने पर राम लक्ष्मण जी की क्या प्रतिक्रियाएँ हुई ? उनके आधार पर दोनों के स्वभाव की विशेषताओं को अपने शब्दों में लिखिए ।
- अपने किसी परिचित या मित्र के स्वभाव के बारे लिखिए ।
- कविता के आधार पर स्पष्ट कीजिए कि राम सामान्य नहीं है, अपितु अलौकिक है ।
क्रिया कलाप
- कविता से दस चौपाइयाँ याद करके कक्षा में सुनाना।
- श्री राम के जीवन के पाँच प्रसंगों का कक्षा में मंचन कीजिए ।
VERY GOOD
ReplyDelete