Tuesday, 7 June 2016

आदर्श पाठ योजना

दिनांक ;6/6/2016                                 विषय ;हिन्दी                                                        कालांश ;प्रथम
कक्षा ;सातवीं                                        उपविषय ;कंचा                                                      अवधि ;35 मि ,

                                       प्रस्तावना   .

                                     [1]     आप कौन कौन से खेल खेलते हो ?
                                     [2]      क्या आप कंचे भी खेलते हो ?
                                     [3]      कंचे कैसे होते है ?
                                     [4]      कंचों के कितने रंग हो सकते है ?

                                     लेखक परिचय 


   

  

     टी पदमनाभन जी का जन्म 1जनबरी 1931 ई ,को चेन्नई के पल्लीकन्नू ,कण्णूर ,मालावार जिले मे हुआ था >इनके पिता का नाम पुथिईदथ  कृष्णन अय्यर तथा माता का नाम देवकी अम्मुकुट्टी था। इनके पिता जी का निधन बचपन मे ही हो गया था। इनका पालन पोषण इनके माता और बड़े भाई ने किया था। ई \इनकी शिक्षा दीक्षा मंगलौर और चेन्नई मे हुई>इनको लघु कहानीकार के नाम से जाना जाता है। इन्होंने वकालत की परीक्षा उत्तीर्ण की तथा थलस्सेरी और कण्णुर कोर्ट मे अभ्यास करने लगे । बाद में इनको FACT कंपनी में मैनेजिंग डाइरेक्टर के पद पर नियुक्त किया गया । इनको एज़्हुथचन वल्लठोल वैलर साहित्य अकादमी पुरस्कार भी प्राप्त हुए है । आजकल ये सेवा निवृत्त होकर लेखन कार्य मेँ जीवन गुजार रहे है ।

                                       अन्विति [गदयांश ]

           स्कूल  की घंटी सुनकर वह बस्ता थामे हुए दौड़ पड़ा ।देर से पहुँचने वाले लड़कों को पीछे बैठना पड़ता था । उस दिन वही सबके बाद पहुंचा था । इसलिए वह चुपचाप पीछे की बेंच पर बैठ गया । 
          सब अपनी-अपनी जगह पर हैं । रामन अगली बेंच पर है । वह रोज समय पर आता है । तीसरी बेंच के आखिर मेँ मल्लिका के बाद अम्मु बैठी है । 
                     जार्ज दिखाई नहीं पड़ता । 
लड़कों के बीच जार्ज ही सबसे अच्छा कंचे का खिलाड़ी है कितना भी बड़ा लड़का उसके साथ खेले ,जार्ज से मात खाएगा । हारने पर यों ही विदा नहीं हो सकता हारे हुए को अपनी बंद मुठठी जमीन पर रखनी होगी । तब जार्ज काँचा चलकर बंद मुठठी के जोड़ों को ही तोड़ेगा । 
                    जार्ज क्यों नहीं आया ? 
अरे हाँ । जॉर्ज को बुखार है न। उसे रामन ने यह सूचना दी थी। उसने मल्लिका को सब बताया था। 
  जॉर्ज को घर रामन के घर के रास्ते में पड़ता है। 
अप्पू कक्षा की तरफ ध्यान नहीं दे रहा था। 
मास्टर जी। 
उसने हड़बड़ी में पुस्तक खोलकर सामने रख ली। रेलगाड़ी का सबक था। 
रेलगाड़ी......रेलगाड़ी। पृष्ठ सैंतीस। घर पर उसने यह पाठ पढ़ लिया है। 

प्रकरण की प्रासंगिकता :-

प्रस्तुत गदयांश वसंत भाग 2 के कंचा नामक पाठ से लिया गया है जिसके लेखक टी पद्मनाभन  जी है। 
प्रस्तुत गदयांश में लेखक ने अप्पू के कक्षा में देर से पहुँचने की मनोस्थिति का सुंदर चित्रण किया है। 

सामान्य उद्देश्य:-

1-   विद्यार्थियों  हिन्दी विषय के अध्ययन के प्रति रुचि जाग्रत करना। 
2-  विद्यार्थियों को गद्य लेखन की प्रेरणा देना।
3-  विद्यार्थियों  को कंचे के बारे में जानकारी देना। 

विशिष्ट उद्देश्य:-

1-  विद्यार्थियों को पढ़ाये जाने वाले पाठ की संक्षिप्त जानकारी देना। 
2-  विद्यार्थियों को कठिन शब्दो के अर्थ समझाना। 
3-  विद्यार्थियों को गदयांश का आशय समझाना। :-

                            व्यूह रचना [शैक्षिक प्रविधियाँ]:-

1-  समूह परिचर्चा विधि 
2-  व्याख्यान विधि
3-  प्रश्नोत्तर विधि

                              स्पष्टीकरण

लेखक ने बताया है कि अप्पू कक्षा मे देर से पहुँचा अत ; उसे सबसे पिछली बेंच पर बैठना पड़ा । आज वह कक्षा मे जॉर्ज को खोज रहा था क्योंकि वह कंचे के खेल का अच्छा खिलाड़ी था । पूछने पर उसे पता चला कि जॉर्ज को बुखार है इसलिए वह आज नहीं आया तभी मास्टर जी ने कक्षा में प्रवेश किया । वे रेलगाड़ी के बारे मे पढ़ा रहे थे ,परंतु अप्पू का मन कंचों की ओर था। वह जॉर्ज के साथ कंचे खेलने की बात सोच रहा था ।

                              सहायक सामग्री

       [1]  -       कंचों के चित्र तथा कुछ कंचे । 
       [2]  -       श्यामपट्ट ,डस्टर चॉक आदि । 

                              कठिन शब्द और उनके अर्थ 

    ;[1]  - हड़बड़ी =  जल्दी में  [5] - मास्टर जी = शिक्षक 
     [2]  - बस्ता  = थैला  [6] - सबक = पाठ 
     [3] - थामना  = पकड़ना  [7] - सवाल =प्रश्न 
     [4] - मात खाना = हार जाना [8] - जवाब = उत्तर 

अर्थ गृहण  संबंधी प्रश्न 

  [1] - गदयांश के पाठ और लेखक का नाम लिखिए।
  [2] - स्कूल की घंटी बजने पर उसकी क्या प्रतिकृया हुई ?
  [3] - अप्पू पीछे की बेंच पर क्यू बैठा ?
  [4] - अप्पू की कक्षा में दो लड़कियां कौन थी ?
  [5] - मास्टर जी कक्षा में क्या पढ़ा रहे थे ?

  विषयवस्तु संबंधी प्रश्न      

 [1] - कक्षा में बैठकर अप्पू क्या देखने लगा ?
 [2] - कक्षा में बैठकर अप्पू को क्या नज़र नहीं आया ?                                        
 [3] - 'मात खाना' मुहावरे का अर्थ लिखकर अपने वाक्यो में प्रयोग कीजिये ।
 [4] - देर से पहुँचने  वाले बच्चो को कक्षा में कहा बैठना पड़ता हे ?

   अतिरिक्त ज्ञान का सम्प्रेषण 

        कंचे ग्रामीण  अंचल का खेल है । गाँव के बच्चे कंचे न मिलने पर मिट्टी की गोलियां, छोटे-छोटे आलू से ,तथा बकेन के  फलों से ही खेला करते थे । इसके साथ ही गाँव के बच्चे गुल्ली डंडा ,कुश्ती और कबड्डी के खेल भी खेलते थे । क्योंकि उन्हे शहर  जेसे खेल उपलब्ध नहीं हो पाते हैं ।

         छात्रों की सहभागिता  

  [1] - प्रस्तुत गदयांश किस पाठ से लिया गया है? 
  [2] - इस गदयांश के पाठ के लेखक का नाम लिखिए। 
  [3] - कंचे किससे बनते है?
  [4] - कंचे गोल और रंगबिरंगे क्यो होते है?

        जीवन मूल्य 

कंचे के खेल से इस पाठ का प्रारंभ और समापन हुआ है । अप्पू नाम का बच्चा अपने स्कूल की फीस से ही कंचे खरीद लेता है। यहाँ उसकी अबोध मानसिकता को दर्शाया गया है बच्चों को  संवेदनशील एवं विवेकशील होना चाहिए । माता पिता का यह प्रथम कर्तव्य है उन्हे घर की स्थिति का बोध बड़ी सहजता से करवाएँ  जिससे वे स्वयं को ढाल सके। 

मूल्यांकन 

  [1] - कंचे कहाँ मिलते है?
  [2] - कंचे काँच के अतिरिक्त और किस धातु से बनते है? 
  [3] - जॉर्ज स्कूल क्यों नहीं आया था?
  [4] - अप्पू कक्षा में पीछे क्यों बैठता था? 

 गृहकार्य

  [1] - पाठ के अंतर्गत किस बच्चे की ओर संकेत किया है?
  [2] - अप्पू स्कूल देर से क्यों आया होगा?
  [3] - देर से आने पर मास्टर जी ने उसके साथ कैसा व्यवहार किया होगा?
  [4] - अप्पू मास्टर जी की बात क्यों नहीं सुन पा रहा था ?

   क्रिया-कलाप

  [1] - कंचे के खेल में  अपने अनुभव लिखिए। 
  [2] - अपने कोई प्रिय खेल के बारे में लगभग 150-200 शब्दों में अनुच्छेद लिखिए ।



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