Sunday, 5 June 2016

पाठ 12-कंचा कक्षा सातवी

-जीवन मूल्य- 

    प्रस्तुत पाठ एक आंचलिक कहानी है जिसके लेखक टी पद्मनाभाम जी है। हमारे समाज में सभी वर्गो निम्न, मध्यम और उच्च स्तर के लोग रहते है। निम्न स्तर के गरीब लोग मध्यम और उच्च स्तर के लोगो खेल की बराबरी करना चाहते है परंतु धनाभाव के कारण वे अपनी इच्छाओं को दबाकर रह जाते है। यहाँ एक अप्पू नाम के गरीब बच्चे की मर्म स्पर्षी कहानी है जो अपने स्कूल  की फीस से ही कंचे खरीद लेता है। प्रेमचंद की ईदगाह कहानी में भी एक ऐसे हामिद नाम के बच्चे की भावुक कहानी है जो अपने     खिलौने खरीदने के पैसों से चिमटा खरीद लेता है क्योंकि उसकी दादी के हाथ रोटी बनाते समय जल जाते है। आज इस गरीबी-अमीरी के अंतर को मिटाने कि आवश्यकता है। अमीरों को चाहिए कि गरीबों की भलाई के लिए कार्य करें। सरकार को भी ऐसे कदम उठाने चाहिए जिससे गरीबों के बच्चे भी शिक्षा पा सके तथा अपने इच्छित  खिलौनों से खेल सके। यहाँ हामिद और अप्पू की विचार धारा में थोड़ा अंदर दिखाई दे रहा है। एक तरफ अप्पू है  जिसकी माँ गरीब है। वह अप्पू को स्कूल की फीस भरने के लिए पैसे देती जिससे वह कंचे खरीद लेता है तथा दूसरी तरफ समझदार हामिद अपने पैसों से चिमटा खरीद लेता है क्योंकि वह देखता था कि रोटी बनाते समय उसकी दादी के हाथ जल जाते है। आज आवश्यकता इस बात कि है कि बच्चे समझदार, संवेदनशील एवं विवेकशील बने तथा अपने घर की स्थिति को समझकर   पढे, लिखे तथा खेलें। 
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