जीवन मूल्य
रहीमदास के दोहे हमे जीवन की वास्तविकता से परिचित कराते है और हमे प्रकृति से सीख लेने की प्रेरणा देते है । इन ढ़ोहों मे सच्चे मित्र की पहचान बताई गई है कि वे संकट के समय भी हमारा साथ नहीं छोडते । वैसे तो हमारे पास धन होने पर बहुत सारे लोग हमारे मित्र बन जाते है परंतु जो लोग संकट के समय हमारा साथ देते है ,वे ही सच्चे मित्र होते है । रहीम जी आगे बताते है कि जल से एकतरफा प्रेम करने वाली मछली को तड़पकर मरना पड़ता है क्योंकि जल को उससे कोई मोह नहीं होता है । इस संसार मे भी जल जैसे प्राणियों की कमी नहीं है । अत;अधिक मोह- माया के जाल मे कभी नहीं फँसना चाहिए । रहीमजी वृक्ष और सरोवर की ही तरह अपने संचित धन को जन -कल्याण में खर्च करने की सीख देते है । दुख के दिनों में सुख की बात करना खोखलेपन की निशानी है,रहीमदास जी यही समझाते हैं । अंत मे उन्होने बताया है कि जिस प्रकार धरती हर तरह के परिवर्तन [ठंड ,गर्मी ,वर्षा ]को सहज भाव से सहन करने की क्षमता रखती है ,उसी प्रकार हमे भी प्रकृति मे होने वाले परिवर्तन को सहज भाव से सहन करने की क्षमता रखनी चाहिए ।
इति कृतिम
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