Saturday, 4 June 2016

पाठ -कंचा [सातवीं ]

कार्य पत्रक -3

प्रश्न -   नीचे दिए गए गदयांश को ध्यानपूर्वक पढ़कर उस पर आधारित प्रश्नों के उत्तर दीजिए । 
                रोकने की पूरी कोशिश करने पर भी वह अपना दुख रोक नहीं सका । सुबकता रहा । 
            रोते -रोते उसका दुख बढ़ता ही गया । सब उसकी तरफ देखकर उसकी हँसी उड़ा रहे थे । रामन मल्लिका             ...सब । बेंच पर खड़े उसने सोचा,दिखा दूँगा सबको । जार्ज को आने दो । जार्ज जब आए ...जार्ज के आने             पर वह कंचे खरीदेगा । इनमें से किसी को वह खेलने नहीं बुलाएगा । कंचे को देख ये ललचाएँगे इतना                 खूबसूरत कंचा है ।
                   [क] -   अप्पू क्यों सुबक रहा था ?
                   [ख] -   अप्पू का दुख क्यों बढ़ता जा रहा था ?
                   [ग ] -   बेंच पर खड़ा -खड़ा  अप्पू क्या सोच रहा था ?
                   [ घ] -   अप्पू को ऐसा क्यों लग रहा था कि उसके कंचों को देख सभी ललचाएँगे ?
                   [ड़ ] -    इतना खूबसूरत कंचा है । -:वाक्य में "इतना "शब्द किस प्रकार का शब्द है ?                  
 

कंचा कक्षा -सातवीं

कार्य पत्रक 

प्रश्न ;     नीचे दिए गए गदयांश को ध्यानपूर्वक पढ़कर उस पर आधारित प्रश्नों के उत्तर दीजिए ।

                                    गदयांश -  1

वह चलते -चलते दुकान के सामने पहुँचा ।वहाँ अलमारी मे काँच के बड़े -बड़े जार  कतार में रखे थे । उनमे चाकलेट पिपरमेंट और बिस्कुट थे । उसकी नजर उनमे से किसी पर नहीं पडी । क्यों देखे ? उसके पिताजी उसे ये चीजें बराबर ला देते हैं । 
फिर भी एक नए जार ने उसका ध्यान आकृष्ट किया। वह कंधे पर लटकते बस्ते का फीता एक तरफ हटाकर,उस जार के सामने खड़ा टुकर-टुकर ताकता रहा।
   क-        इस गदयांश के पाठ और लेखक का नाम लिखिए।
   ख-        वह चलते-चलते दुकान के सामने पहुंचा। यहाँ वह का प्रयोग किस के लिए हुआ है?
   ग-         काँच के बड़े-बड़े जार कहाँ रखे थे?
   घ-        उसका ध्यान जार की तरफ क्यों आकृष्ट हुआ?
   ड-         बच्चा स्कूल न जाकर उस जार के सामने क्या कर रहा था।

गदयांश-2

प्रश्न-2 नीचे दिए गए गदयांश को ध्यानपूर्वक पढ़कर उस पर आधारित प्रश्नो के उत्तर दीजिये।
वह नीम के पेड़ों की घनी छाँव से होता हुआ सियार की कहानी का मजा लेता आ रहा है। हिलते-डुलते उसका बस्ता दोनों तरफ झूमता-खनकता था। स्लेट कभी छोटी शीशी से टकराती तो कभी पेंसिल से। यों वे सब उस बस्ते के अंदर टकरा रहे थे। मगर वह न कुछ सुन रहा था,न कुछ देख रहा था। उसका पूरा ध्यान कहानी पर पर केन्द्रित था। कैसी मज़ेदार कहानी। कौए और सियार की।
     क-      अप्पू  कहाँ जा रहा था? रास्ते में वह क्या कर रहा था?
     ख-      अप्पू की चाल से बस्ते में क्या हरकत हो रही थी?
     ग-       अप्पू कुछ देख-सुन नहीं रहा था।इसका क्या कारण था?
     घ -      सियार और कौए की कथा क्या थी?
     ड-       'कैसी  मज़ेदार कहानी।'-अर्थ के आधार पर वाक्य भेद बताइए।       

रहीम के दोहे

             आदर्श पाठ योजना                

विषय-हिन्दी                                                कक्षा-सातवी                                                      अवधि:35मि.
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प्रस्तावना -

[क ] -क्या आप मित्र बनाते हैं ?
[ख[ -मित्र किन लोगों को बनाना चाहिए ?
[ग ] -सच्चा मित्र कौन होता है ?

कवि परिचय -

 

 रहीम दास का पूरा नाम अब्दुल रहीम खानखाना था। इनका जन्म 17 दिसम्बर 1556 को लाहौर में हुआ था । इनके पिता का नाम बैरम खान था तथा माता का नाम सुल्ताना बेगम था।बैरम खान बादशाह अकबर के संरक्षक थे । रहीम का नाम अकबर ने रखा था। इनके गुरु मुल्ला मुहम्मद अमीन था । रहीम की रचनाओ में रहीम दोहावली यह सतसई बरवै, राग पंचाध्यायी,नगर शोभा, नायिका भेद , श्रंगार सोरठा आदि प्रसिद्ध हैं।

अन्विति-

    दोहे 1 - कहि रहीम संपति सगे,बनत बहुत बहू रीत।
                बिपति कसौटी जे कसे, तेई साँचे मीत। ।
          2 - जाल परे जल बहि, तजि मीनन को मोह।
               रहिमन मछरी नीर को, तौ न छाण्ड्ति छोह ।।
 3 - तरुबर फल नहिं खात है , सरवर पियत न पान।
               कहि रहीम परकाज हित, संपति-संचही सुजान।।                                                                                     4- थोथे बादर क्वार ज्यों रहीम घहरात।
            घनी पुरुष निर्धन भए,करें पाछिली बात। । 
        5- धरती की-सी रीत है, सीत घाम औ मेह।
              जैसी परे सो सहि रहे, त्यों रहीम यह देह।।

प्रकरण की प्रासंगिकता 

प्रस्तुत कविता वसंत भाग -2 से ली गयी है जिसके रचनाकर रहीमदास जी है । प्रस्तुत दोहों मे कवि ने जीवन के लिए कुछ आवश्यक बातें बताई हैं । 

सामान्य उद्देश्य

      1 _ विद्यार्थियो को हिन्दी विषय के प्रति रुचि जाग्रत करना ।  
      2 _ विद्यार्थियो में काव्य पाठ करने की प्रेरणा देना ।
      3_ विद्यार्थियो  को कविता लिखने की प्रेरणा देना ।

विशिष्ट उद्देश्य 

      1 _ विद्यार्थियों को पढ़ाई जाने वाली कविता का परिचय देना ।
      2_ विद्यार्थियो को कविता का सार समझाना ।
      3_ विद्यार्थियो को कविता में आए कठिन शब्दो के अर्थ समझाना ।

व्यूह रचना [ शैक्षिक  प्रविधियाँ ]

     1_ समूह परिचर्चा विधि 
     2_ व्याख्यान विधि 
     3_ प्रश्नोत्तर विधि 

स्पष्टीकरण

   1_ कवि ने सरल एवं सहज भाषा में मानव जाति को जीवन मूल्य पर आधारित बाते बताई है 
         इन बातों को जीवन में उतारने पर आदर्श जीवन जी सकते है ।
   

सहायक सामग्री 

   रहीम जी का चित्र , श्याम पट , डस्टर , चाक ,इत्यादि

कठिन विवरण  

  1] रीत = तरीके                                          5]  नीर = पानी 
                                                                   6] तरुवर = पेड़                
  2] मीत =मित्र                                            7] सरवर = सरोवर, तालाब
  3] तजि =छोडकर                                       8] धोथे = खोखले 
  4] घहराते =गरजते                                       9] मेह = बादल , वर्षा 

अर्थग्रहण संबंधी प्रश्न

1]   कवि और कविता का नाम लिखिए ।
2]   जीवन में मित्रो का अधिकता कब होती है ।
3]   तालाबो और पेड़ की क्या विशेषता बताई गयी है ।
4]   रहीम के अनुसार हमारी देह किसकी तरह सहनशील होनी चाहिए।
5]   जल को मछलियों से कोई मोह नही होता । इसका क्या प्रभाव है ।
6]  घाम और मेह शब्दो के दो - दो पर्यायवाची लिखिए ।

विषयवस्तु संबंधी प्रश्न 

 1]   लोग विभिन तरीके से किसी के मित्र कब बनते है ? 
 2]  जाल पड़ने पर पानी क्यों बह  जाता है ?
 3]   पेड़  अपने फल क्यों नहीं खाते है ?
 4]   किस महीने के बादलों को थोथा कहा गया है ?

अतिरिक्त ज्ञान का सम्प्रेषण 

  प्रसुस्त दोहो में जल , बादल ,पानी , ऋतुओं का वर्णन किया गया है । अत: इस पाठ का मौसम विज्ञान से 
   घनिष्ठ संबंध है ।

छात्रों की सहभागिता 

     1]   इस कविता के कवि कौन है ?
     2]   विपत्ति में कौन साथ देता है ?
     3]   मछलियाँ कहाँ रहती है ?
     4]   सज्जन लोग अपनी संपत्ति क्यों एकत्र करते है ?

जीवन मूल्य 

     रहीम जी ने बताया है की हमे प्रकृति के साथ तालमेल बिठाकर चलना चाहिए तथा प्रकृति से कुछ 
      सीखकर जीवन जीना चाहिए ।

मूल्याकन 

      1]   सच्चे मित्र कब साथ नहीं छोडते ?
      2]   जल मछलियों का कब छोड़ देता है ?
      3]  दूसरों का हित चाहने की भावना किसमे दिखाई  देती है ?
      

गृहकार्य

     1]   रहीम के दोहो से क्या शिक्षा मिलती है ?
     2]   सच्चे मित्र की विशेषताएँ पाठ के आधार पर लिखिए ?
     3]   धरती के माध्यम से कवि मनुष्य को क्या  सीख लेने के लिए प्रेरित करता है ?
  

क्रियाकलाप  

     1]   रहीम जी के 10 दोहो को खोज कर लिखिए ।
     2]   कक्षा में रहीम के दोहो का काव्य पाठ करवाना ।


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Friday, 3 June 2016

रहीम के दोहे कक्षा सातवीं

जीवन मूल्य      
रहीमदास के दोहे हमे जीवन की वास्तविकता से परिचित कराते है और हमे प्रकृति से सीख लेने की प्रेरणा देते है । इन ढ़ोहों मे सच्चे मित्र की पहचान बताई गई है कि वे संकट के समय  भी हमारा साथ नहीं छोडते । वैसे तो हमारे पास धन होने पर बहुत सारे लोग हमारे मित्र बन जाते है परंतु जो लोग संकट के समय हमारा साथ देते है ,वे ही सच्चे मित्र होते है । रहीम जी आगे बताते है कि जल से एकतरफा प्रेम करने वाली मछली को तड़पकर मरना पड़ता  है क्योंकि जल को उससे कोई मोह नहीं होता है ।  इस संसार मे भी जल जैसे प्राणियों की कमी नहीं है । अत;अधिक मोह- माया के जाल मे कभी नहीं फँसना चाहिए । रहीमजी वृक्ष और सरोवर की ही तरह अपने संचित धन को जन -कल्याण में खर्च करने की सीख देते है । दुख के दिनों में सुख की बात करना खोखलेपन की निशानी है,रहीमदास जी यही समझाते हैं । अंत मे उन्होने बताया है कि जिस प्रकार धरती हर तरह के परिवर्तन [ठंड ,गर्मी ,वर्षा ]को सहज भाव से सहन करने की क्षमता रखती है ,उसी प्रकार हमे भी प्रकृति मे होने वाले परिवर्तन को सहज भाव से सहन करने की क्षमता रखनी चाहिए ।   
इति कृतिम 

Thursday, 2 June 2016

रहीम के दोहे

कार्यपत्रक 
कक्षा -सातवी
पाठ-11 रहीम के दोहे 
प्रश्न-1 नीचे दिये गए काव्यान्श को पढ़कर दिये गए प्रश्नो  के उत्तर दीजिये।
                                                            काव्यान्श  
            कहि रहीम संपति संगे, बनत बहुत बहु रीत । 
            बिपति कसौटी जे कसे, तेई साँचे मीत ।।
                                           जाल परे जल जात बही, तजि मीनन को मोह ।
                                           रहिमन मछरी नीर को, तौ न छांदति छोह।
[क ] - कवि और कविता का नाम लिखिए ।
[ख] -  बहुत से लोग हमारे मित्र कब बन जाते है ?
[ग]-    सच्चे मित्र कौन होते है ?
[घ]-    जल मछलियों का मोह कब त्याग देता है ?
[ड़]-    रीत और छोह शब्दों के अर्थ लिखिए ।  

रहीम के दोहे [कार्य पत्रक ] कक्षा - सातवी

काव्यान्श -2 
प्रश्न -2 नीचे दिए गए काव्यान्श को पढ़कर निम्नलिखित प्रश्नो के उत्तर दीजिए ।                                      
तरुवर फल नहि खात है,सरवर पियत न पान ।                                                        
           कहि रहीम पर काज हित, संपति -संचही सुजान । ।                                                            
थोथे बादर क्वार के,ज्यों रहीम घहरात ।
                                                   धनी पुरुष निर्धन भए ,करे  पाछिली  बात।।                                            
धरती की सी रीत है ,सीत घाम औ मेह ।                                                              
जैसी परे सो सहि रहे ,त्यों रहीम यह देह । ।                                                          
[क] -   कवि और कविता का नाम लिखिए ।                                                                                                  [ख] -     तालावों और वृक्षों की क्या विशेषता बताई गयी है ?                                                                          
[ग ]-    सज्जन और विद्वान के संपति अर्जन का क्या उद्देश्य होता है ?                                                           [घ ] -  रहीम ने निर्धन लोगों की तुलना किस से की है ?                                                                                
[ड़]-   रहीम के अनुसार हमारी देह किस की सहनशील होनी चाहिए ?                                                            
[च] -    घाम और देह शब्दों के पर्यायवाची लिखिए ।                                                                                                                              

रहीम के दोहे कार्यपत्रक [कक्षा -सातवीं]

प्रश्न 1-नीचे दिये गए काव्यान्श को पढ़कर उस पर आधारित प्रश्नो के उत्तर दीजिये।
                                                                काव्यान्श-1
       कहि रहीम संपति संगे, बनत बहुत बहु रीत।
       बीपति कसौटी जे कसे, तेई साँचे मीत। ।
                           जाल परे जल जात बहि, तजि मीनन की मोह।
                           रहिमन मछरी नीर को, तऊ न छांदति छोह । ।
  [ क ] -कवि और कविता का नाम लिखिए ।
  [ख ]-जीवन मे मित्रों की अधिकता कब होती है ?
  [ग ]-रहीम जी ने सच्चे मित्र की क्या पहचान बताई है ?
  [घ ]-जल को मछलियों से कोई मोह नहीं होता। इसका क्या प्रभाव है ?
  [ड़]-मछलियाँ किसके प्रति अपना लगाव नहीं छोड पाती ?उनके लगाव का क्या परिणाम होता है ?